Tuesday, September 8, 2015

OROP पर जनरल सिंह का पहला इंटरव्यू, बोले- टीवी पर देखा बेटी जंतर-मंतर पर बैठी है

भोपाल. विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए विदेश राज्यमंत्री जनरल (रिटा.) वीके सिंह सोमवार को भोपाल पहुंचे। उन्होंने वन रैंक-वन पेंशन का श्रेय भाजपा को दिया। पर पूर्व सैनिकों की नराजगी पर बोले- चाय में मक्खी डालकर दोगे तो कौन पिएगा? उनसे बातचीत के अहम अंश...
>ओआरओपी पर इतनी देर क्यों लगी?
मई के अंत में मोदीजी से मिला था। उन्होंने कहा भी कि आपके साथ हुई रैली में हमने ये वादा किया था। हम वचनबद्ध हैं। फिर रक्षामंत्री और वित्तमंत्री से 10 जून को मीटिंग हुई। वित्तमंत्री का कहना था खर्च 8000 करोड़ से कम करो। फिर मैं आयरलैंड जा रहा था। एयरपोर्ट से ही मोदीजी से फिर बात की और आनाउंसमेंट करने आग्रह किया। 14 जून को जब लौटा तो आंदोलन शुरू हो चुका था। अब मैं क्या बोलता प्रधानमंत्री जी को।
>आपकी बेटी मृणालनी जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गई थीं, आपने रोका नहीं?
उस दिन मेरी तबीयत खराब थी। बुखार में सोया था। शाम को वाइफ ने कहा- टीवी पर दिख रही है बेटी। मैंने पूछा कहां है? तो बताया कि जंतर-मंतर पर। वह हिसार से सीधे धरनास्थल पर पहुंच गई थी। मुझसे सबने पूछा वह क्यों आई तो मैंने कहा फौजी की बेटी है, फौजी की पत्नी है, हो सकता है उसका बेटा फौज में चला जाए। मैं उसे कैसे रोकता।
>सरकार से कोई प्रेशर था?
नहीं। ये बच्चे हैं और ये उनकी सोच है...
>आखिर मामला अटक कहां गया था?
रक्षामंत्री सकारात्मक थे। पर लगा एक लाइन खिंच गई है वित्त मंत्रालय में कि ये हो ही नहीं सकता। मेरा मानना था कि आप कह दें कि सरकार के पास पैसा नहीं है। 15 किश्तों में देंगे। मान जाएंगे। लेकिन कहीं पर चीजें ठीक नहीं चली। बाबूवर्ग खासकर आईएएस व्यवधान पैदा करते हैं।
>पर अब भी पूर्वसैनिक संतुष्ट कहां हैं?
मैं चाहता था श्रेय पार्टी को मिले। 42 साल बाद हुआ है तो पार्टी को ही श्रेय जाता है। पर छोटी-छोटी चीजों से। मेरा मानना है कि आपको चाय देता हूं और उसमें मक्खी डाल दूं, तो आप नहीं लेंगे। आप दे भी रहे हैं और कई कंडीशन भी लगा रहे हैं। वो ठीक नहीं है।
>वीआरएस को लेकर विवाद क्यों हुआ?
वीआरएस हमारे यहां होता ही नहीं। पता नहीं किसने लिखवा दिया। सेना में प्री-मैच्योर रिटायरमेंट होता है।

>आपको जंतर-मंतर नहीं जाना चाहिए था?
सरकार में होने की बंदिश है। अपनी तरफ से कोशिश कर रहा हूं। जो किया उससे फर्क भी पड़ा। जो जंतर-मंतर पर बैठे हैं उन्हें तो यही लगता है कि जो वहां नहीं हैं उसने कुछ किया ही नहीं। लेकिन किस बात का प्रचार करना।
सरकारी हिंदी सरल बनाएंगे
>विश्व हिंदी सम्मेलन में सबसे खास क्या?
भाषा सिर्फ साहित्य नहीं होती। उससे ऊपर उठकर हिंदी का प्रचार-प्रसार और विस्तार हो। पहले सम्मेलन हो जाता था, महीनों बाद रिपोर्ट आती थी। इस बार हर दिन आखिरी सत्र में रिपोर्ट बनेगी। जो तय होगा उसे लागू करेंगे। सरकारी हिंदी को आसान बनाएंगे।
>किन विषयों पर जोर रहेगा?
बाल साहित्य। क्योंकि बच्चों को हिंदी से जोड़े रखना चुनौती है। फिर चिकित्सा। रूस में मेडिकल की पढ़ाई रूसी में और जर्मनी में जर्मन तो भारत में हिंदी में क्यों नहीं। हम जल्द इसे लागू करवाने की कोशिश करेंगे।

>क्या होगा जो पहले कभी नहीं हुआ?
भोपाल में आधुनिकता और परंपरा का मिक्स मिलेगा। अब जब भी कहीं हिंदी सम्मेलन होगा लोग भोपाल को जरूर याद करेंगे।

(SOURCE- DAINIK BHASKAR)

1 comment:

  1. I dont know the script probably may be Hindy. Any how OROP IS NEITHER HINDY NOR ANY OTHER INDIAN language. So long the mothetongue of beaurocrarts is selfish and politicians are totally no otherway but to dependant on beaurocrarts from a to z we become fool to vote politician rather than beauricrats. STRAIGHT VOTE FOR BEAUROCRARTS.

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