Amit Tiwari | News18Hindi First published: January
20, 2017, 9:06 AM IST | Updated: January
20, 2017, 11:11 AM IST
गलत तरीके से
कोर्ट मार्शल कर जेल भेजे जाने के एक मामले में एक सेकंड लेफ्टिनेंट को 26 साल बाद न्याय
मिला. गुरुवार को आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल की लखनऊ बेंच ने सेकंड लेफ्टिनेंट
शत्रुघ्न सिंह चौहान को न सिर्फ बेदाग़ माना बल्कि उन्हें नौकरी पर बहाल करने और
प्रमोशन देने का भी आदेश दिया.
गलत तरीके से कोर्ट मार्शल कर जेल भेजे जाने के एक मामले में सेकंड लेफ्टिनेंट
शत्रुघ्न सिंह चौहान को 26 साल बाद जाकर इंसाफ मिला है. आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को सेकंड लेफ्टिनेंट
शत्रुघ्न सिंह चौहान को न सिर्फ बेदाग माना, बल्कि उन्हें नौकरी पर बहाल करने और प्रमोशन
देने का भी आदेश दिया.
ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार और आर्मी चीफ पर 5 करोड़ का जुर्माना भी लगाया. इतना ही नहीं
जुर्माने की रकम में से 4 करोड़ रुपए चौहान को मुआवजे के तौर पर देने का भी आदेश दिया है. जुर्माने की
बची एक करोड़ की रकम को सेना के केंद्रीय कल्याण फंड में जमा कराने होंगे.
आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और
प्रशासनिक सदस्य एयर मार्शल जस्टिस अनिल चोपड़ा की खंडपीठ ने यह आदेश सुनाया. दरअसल
मैनपुरी निवासी शत्रुघ्न सिंह चौहान ने रक्षा मंत्रालय और सेना प्रमुख के खिलाफ
आरोप लगाए थे.
सोने के बिस्किट के लालच में फंसाया
दरअसल, राजपूत रेजिमेंट के सेकंड लेफ्टिनेंट चौहान श्रीनगर में तैनात थे. 11 अप्रैल 1990 को बटमालू
मस्जिद के लंगड़े इमाम के यहां से सोने के 147 बिस्किट बरामद हुए थे. कर्नल केआरएस पंवार और सीओ ने शत्रुघ्न सिंह चौहान पर दबाव बनाया कि वे बरामद
सोने की बिस्किट को दस्तावेजों में न दिखाएं. इस मामले में बाकी अफसर भी चुप हो
गए.
इसके बाद याची ने मामले को पार्लियामेंट्री कमेटी के पास भेजा. सेना मुख्यालय
ने जांच करवाई और कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी का आदेश दिया. इसके बाद 1991 में शुरू हुई
कोर्ट मार्शल की कार्रवाई में चौहान को 7 साल की सजा सुनाई गई थी.
(Source- Twitter a/c of News 18 India)
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